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प्रतीक्षित हूं कब से तुम्हारे लिए दरश दो बांके हमारे लिए। राह निहारुँ तेरी हरदम प्रीत तुझसे करती हूं मोहन। ना मुझे अब अधीर करो मन की पीड़ा मेरी सारी हरो। ...